फ़ारूक़ अब्दुल्ला
J&KNC- राष्ट्रीय अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर- पूर्व मुख्यमंत्री
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फ़ारूक़ अब्दुल्ला

J&KNC- राष्ट्रीय अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर- पूर्व मुख्यमंत्री

Table of Content

  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला की जीवनी, प्रारंभिक शिक्षा और राजनीति इतिहास
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला की शिक्षा
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला का वैवाहिक और पारिवारिक जीवन
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला का राजनीतिक कैरियर
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला का राजनीतिक इतिहास
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला मुख्यमंत्री के रूप में
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला की उपलब्धियाँ
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला की संपत्ति
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला के विवाद
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला पर लिखी गई पुस्तक
  • फ़ारूक़ अब्दुल्ला पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

फ़ारूक़ अब्दुल्ला की जीवनी, प्रारंभिक शिक्षा और राजनीति इतिहास



नाम- फ़ारूक़ अब्दुल्ला

माता का नाम- श्रीमाती बेग़म अकबर जहान अब्दुल्ला

पिता का नाम- श्री शेख़ अब्दुल्ला

शिक्षा- MBBS- (एसएमएस मेडिकल कॉलेज- जयपुर)

जन्मतिथि / उम्र- 21 अक्टूबर 1937 (86 वर्ष)

जन्म स्थान- श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)

व्यवसाय / पेशा- राजनीतिज्ञ और डॉक्टर

राजनीतिक पार्टी- जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस

पद- पूर्व मुख्यमंत्री (जम्मू-कश्मीर), अध्यक्ष (J&KNC)

जीवनसाथी का नाम- मोली अब्दुल्ला (14 सितंबर 1968)

बच्चों का नाम- पुत्र- उमर अब्दुल्ला, पुत्री- सफ़िया, हिना और सारा

आरोप- (चुनाव आयोग के अनुसार- 2019 में इनके ऊपर एक केस था।)

विदेश यात्रा- ज्ञान नहीं

जाति और धर्म- सुन्नी, इस्लाम


फ़ारूक़ अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख़ अब्दुल्ला के पुत्र हैं। इतना ही नहीं फ़ारूक़ अब्दुल्ला खुद मुख्यमंत्री रहे हैं और इनके पुत्र उमर अब्दुल्ला भी मुख्यमंत्री रहे हैं। फ़ारूक़ अब्दुल्ला भारत के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनके पिता और पुत्र दोनों मुख्यमंत्री रहे हैं यानी इनकी तीन पीढ़ियां मुख्यमंत्री रही हैं। फ़ारूक 1982 में अपने पिता शेख़ अब्दुल्ला की मौत के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा फ़ारूक़ 1986 से 1990 और 1996 से 2002 तक मुख्यमंत्री रहे हैं। 2009 से 2014 तक केंद्रीय मंत्री का कार्यभार सभाला। फ़ारूक ने 1980 में पहली बार श्रीनगर लोकसभा से चुनाव लड़ा और निर्विरोध सांसद चुने गए। इनका और इनके परिवार का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला की शिक्षा


इनकी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनगर के सीएमएस टिंडेल बिस्को स्कूल में हुई और राजस्थान की राजधानी जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से इन्होंने एमबीबीएस की डिग्री ली। एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद फ़ारूक़ अब्दुल्ला प्रैक्टिस करने के लिए इंग्लैंड गए और वहां अपनी सेवाएँ दी। 1980 में अपने पिता के कहने पर राजनीति में कदम रखा।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला का वैवाहिक और पारिवारिक जीवन


इनकी शादी 14 सितंबर 1968 में ब्रिटिश मूल की मोली नाम की ईसाई नर्स से हुई। मोली और फ़ारूक़ ने प्रेम विवाह किया और इन दोनों की चार बच्चे (एक पुत्र- उमर अब्दुल्ला और तीन पुत्री- सफ़िया, हिना और सारा) हैं। इनकी बेटी सारा अब्दुल्ला की शादी राजस्थान के लोकप्रिय नेता सचिन पायलट के साथ हुई थी। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव के हलफनामे में सचिन पायलट ने सारा अब्दुल्ला से तलाक होने की पुष्टि की। सचिन और सारा के दो बच्चे हैं। इनकी पत्नी मोली ब्रिटिश मूल की एक नर्स रही हैं। इनके पिता शेख़ अब्दुल्ला से इन्हें राजनीति विरासत में मिली और इन्होंने अपने पुत्र उमर अब्दुल्ला को देते हुए पारिवारिक राजनीति विरासत को आगे बढ़ाया। बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह और इनके बीच पारिवारिक राजनीतिक के लिए खूब खींचतान हुई। इनके बहनोई गुलाम मोहम्मद भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनके पिता शेख़ अब्दुल्ला अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चिनार’ में लिखते है कि उनके पूर्व पहले हिंदू ब्राह्मण परिवार से थे।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला का राजनीतिक कैरियर


इन्होंने अपना राजनीतिक जीवन अपने पिता शेख़ अब्दुल्ला के कहने पर शुरु किया। राजनीति में आने से पहले फ़ारूक़ इंग्लैंड में डॉक्टर की नौकरी करते थे। फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपना पहला चुनाव 1980 में लड़ा और श्रीनगर लोकसभा से निर्विरोध लोकसभा सांसद चुने गए। 1981 में फ़ारूक़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसके बाद से इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गए। 1982 में पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और 1986 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस सरकार का नेतृत्व किया। 1996 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद फ़ारूक़ अब्दुल्ला तीसरी बार जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री बने।

2002 और 2009 में फ़ारूक़ अब्दुल्ला राज्यसभा के लिए चुने गए। 2009 के आम चुनाव से पहले इन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस दौरान इन्होंने यूपीए की केंद्र सरकार में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के कैबिनेट मंत्री का कार्यभार संभाला। 2014 के आम चुनाव में इन्होंने श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और PDP के उम्मीदवार तारिक हमीद कर्रा से हार गए। 2017 में तारीक ने अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव-2017 हुए, जिसमें फ़ारूक़ अब्दुल्ला जीत गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में फ़ारूक़ अब्दुल्ला फिर से श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।

सितंबर 2019 में भारत सरकार द्वारा फ़ारूक़ अब्दुल्ला को अनुच्छेद-370 खत्म करने के दौरान पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया। फ़ारूक़ अब्दुल्ला करीब सात माह PSA के तहत नजरबंद रहे। 2022 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष के कई नेताओं के साथ मिलकर फ़ारूक़ अब्दुल्ला का नाम विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तावित किया। मगर अब्दुल्ला ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। वर्तमान में फ़ारूक़ अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला का राजनीतिक इतिहास


इनका राजनीतिक इतिहास काफी लंबा रहा है। इनका मुख्यमंत्री कार्यकाल (पहला 1982 से 1984 तक, दूसरा 1986 से 1990 तक और तीसरा 1996 से 2002 तक) करीब 12 वर्ष रहा है। अपने पिता शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के बाद फ़ारूक़ जम्मू-कश्मीर के चौथे मुख्यमंत्री बने। विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव निर्वरोध जीता था। फ़ारूक़ जम्मू-कश्मीर विधानसभा के तीन बार (1983, 1987 और 1996) व लोकसभा के चार बार (1980-1983, 2009-14, 2017-19 और 2019-24) सदस्य रहे हैं। बतौर मुख्यमंत्री इन्होंने सिर्फ एक ही बार अपना कार्यकाल पूरा किया था।

इसके अलावा फ़ारूक़ अब्दुल्ला 2009 से 2014 तक केंद्रीय मंत्री और दो बार (2002, 2009) राज्यसभा के लिए चुने गए। 2009 के आम चुनाव से पहले इन्होंने अपने राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दिया था। इस कारण इनका राज्यसभा सांसद के तौर पर दूसरा कार्यकाल मात्र 2-3 माह ही रहा। फ़ारूक़ अब्दुल्ला सरकार विभिन्नों पदों पर रहे हैं।

इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होंने अपने बेटे उमर को राजनीति में सही समय पर लॉन्च किया। 1996 में नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रचंड बहुमत से जम्मू-कश्मीर की सत्ता में वापस लौटी और उमर अब्दुल्ला राजनीति में शामिल हो गए। 1998 में इन्होंने अपने बेटे को टिकट देकर लोकसभा चुनाव लड़वाया। इस चुनाव में उमर ने शानदार जीत दर्ज की और NDA की बाजपेयी सरकार में देश के सबसे कम उम्र के केंद्रीय मंत्री बनें। मात्र 17 माह के बाद उमर ने राज्य की राजनीति के लिए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला मुख्यमंत्री के रूप में


फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने तीन बार बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली और अपनी पिता शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के बाद पारिवारिक राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। फ़ारूक़ अब्दुल्ला पहली बार 8 सितंबर 1982 से 2 जुलाई 1984 तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान घाटी में आतंकवाद की घटनाएँ बढ़ी और फ़ारूक़ अब्दुल्ला के ऊपर आरोप लगे कि उनकी सरकार आतंकवाद पर कड़ा रुख नहीं अपना रही है। 75 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 26 और गुलाम मोहम्मद शाह के पास 12 नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक निर्दलीय विधायक होने कारण फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने विधानसभा में समर्थन खो दिया। इस कारण इनका पहला मुख्यमंत्री कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं चल पाया।

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने राजीव गांधी से रिश्ते बेहतर करने शुरू कर दिए। नवंबर 1986 में राजीव गांधी और अब्दुल्ला ने तय कर लिया कि घाटी में दोबारा से कांग्रेस और फ़ारूक़ अब्दुल्ला की सरकार बनेगी। अंनतनाग में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार बर्खास्त हुई और 7 नवंबर 1986 से 19 जनवरी 1990 तक फ़ारूक़ अब्दुल्ला दोबारा से मुख्यमंत्री बने।

जम्मू-कश्मीर में 6 साल से अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन के बाद 1996 में विधानसभा चुनाव हुए। फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने गांदरबल विधानसभा से चुनाव लड़ा और तीसरी व अंतिम बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बार फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपना मुख्यमंत्री कार्यकाल (6 साल) पूरा किया। इस बीच फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पुत्र उमर अब्दुल्ला का राजनीति में प्रवेश हुआ। मात्र 28 वर्ष की उम्र में उमर ने 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा जीत हासिल की। 1998 में नेशनल कॉन्फ्रेंस, भाजपा की अगुवाई वाली NDA गठबंधन का हिस्सा थी।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला की उपलब्धियाँ


बतौर राजनेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला के नाम विभिन्न उपलब्धियां हैं। इनकी तीन पीढ़ियां (पिता, स्वंय और पुत्र) प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनके पिता और फ़ारूक़ अब्दुल्ला सबसे अधिक तीन-तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं।


- तीन बार (1982-84, 1986-90 और 1996-02 तक) प्रदेश के मुख्यमंत्री और विधायक रहे।

- चार बार (1980, 2009, 2017- उपचुनाव, 2019) श्रीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए।

- दो बार (2002 और 2009) राज्यसभा सांसद चुने गए।

- एक बार (2009-14 तक) यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।

- रेलवे संबंधी स्थायी समिति के (2019-20 में) सदस्य रहे।

- खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति के (2020 में) सदस्य रहे।

- रक्षा मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के (2022 में) सदस्य रहे।

- वर्तमान में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला की संपत्ति


चुनाव आयोग के अनुसार- 2019 में इनकी कुल संपत्ति 4.92 करोड़ रुपये थी और इनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई लेन-देन नहीं था। इनकी आय का स्रोत पूर्व विधायक, पूर्व लोकसभा और राज्यसभा सांसद सदस्य के रूप में पेंशन है।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला के विवाद


अपने राजनीतिक बयानों को लेकर फ़ारूक़ अब्दुल्ला काफी वाद-विवादों में जुड़े रहते हैं। कभी ‘पाकिस्तान ने चूड़िया नहीं पहनी है’ वाले बयान तो कभी ‘कोई कश्मीरी पंडित कभी नहीं लौटेगा घाटी’ और ‘सेना देश में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के साथ मिली हुई है।’ जैसे अपने बयानों से लगातार विवादों में रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय ने इनके ऊपर कार्रवाई करते हुए 19 दिसंबर 2020 को इनकी करीब 11.86 करोड़ की संपत्ति सीज कर कुर्की की थी। इनके ऊपर आरोप लगा थी कि इन्होंने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।

इनके और इनके पुत्र उमर अब्दुल्ला के ऊपर जुलाई 2006 में पीडीपी ने सेक्स स्कैंडल से जुड़े होने के आरोप लगाए। इनके ऊपर लगे सेक्स स्कैंडल के आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए और सीबीआई ने माना की इस कांड में ना तो इनके पुत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और ना ही फ़ारूक़ अब्दुल्ला शामिल थे।

इनके पिता शेख अब्दुल्ला अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चीनार’ में लिखते है कि ‘हमारे पूर्वज हिंदू ब्राह्मण थे। 1766 में सूफी मीर अब्दुल रशीद बैहाकी के प्रभाव में आकर हमारे दादा ने इस्लाम अपना लिया था।’


फ़ारूक़ अब्दुल्ला पर लिखी गई पुस्तक

इनके ऊपर पत्रकार अश्विनी भटनागर ने “फारूक ऑफ कश्मीर” पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार में आसानी से उपलब्ध है। फ़ारूक़ अब्दुल्ला के बारे में और विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए आप इस पुस्तक की सहायता ले सकते हैं।


फ़ारूक़ अब्दुल्ला पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री कितनी बार रहे हैं ?

उत्तर- तीन बार


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पिता कौन थे ?

उत्तर- शेख़ अब्दुल्ला


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला की पत्नी का क्या नाम है ?

उत्तर- मोली (ईसाई)


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर- चार ( एक बेटा और तीन बेटियां)


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने पहला चुनाव कब और कहां से लड़ा था ?

उत्तर- 1980 (लोकसभा चुनाव लड़ा और निर्विरोध सांसद चुने गए)


प्रश्न- फ़ारूक़ अब्दुल्ला कितनी बार लोकसभा और राज्यसभा सांसद रहे हैं ?

उत्तर- तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे हैं।



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