राजस्थान की राजनीति की चर्चा हो और अशोक गहलोत का नाम नहीं आए, ऐसा हो नहीं सकता है, क्योंकि अशोक गहलोत राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा है। गहलोत तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और तीन बार केंद्रीय मंत्री का कार्यभार भी संभाल चुके हैं। अशोक गहलोत को उनकी राजनीतिक समझ और परिपक्वता के लिए राजनीति का जादूगर कहा जाता है। इंदिरा गांधी से राजीव गांधी तक के करीबी रहे हैं। इन्हें गांधी परिवार का सबसे भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि ये गांधी जी के विचारों से बेहद प्रभावित रहे हैं।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा जोधपुर से हुई और बाद में इन्होंने विज्ञान और कानून में स्नातक की डिग्री तथा अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
इनकी शादी सुनीता गहलोत से 27 नवंबर 1977 को हुई थी। अशोक और सुनीता के दो बच्चे हैं। बेटा वैभव राजनीति में सक्रिय है, तो बेटी मुंबई में रहती है।
इनका राजनीतिक जीवन 1971 में पूर्वी बंगाली शरणार्थियों के शिविरों में सेवा करने के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से हुई एक मुलाकात के बाद शुरु हुआ। इंदिरा गांधी ने गहलोत की संगठनात्मक कौशल को पहचाना और उन्हें राजनीति में लाकर एनएसयूआई राजस्थान का पहला राज्य अध्यक्ष नियुक्त किया। इसके बाद से अशोक गहलोत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और तीन बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। राजस्थान के इतिहास में अशोक गहलोत पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपने तीन कार्यकाल पूरे किए है।अशोक गहलोत छात्र जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे हैं। इन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1977 में लड़ा था, जिसमें इन्हें हार का सामना करना पड़ा। भारतीय राजनीति में इन्हें एक साफ छवि का राजनेता माना जाता है।
इन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1977 में लड़ा और 1980 में पहली बार जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर दिल्ली पहुंचे। इसके बाद 8वीं लोकसभा 1984, 10वीं लोकसभा 1991, 11वीं लोकसभा 1996 और 12वीं लोकसभा 1998 में जोधपुर से सांसद चुने गए। इसके अलावा राजस्थान की 11वीं विधानसभा 1999, 12वीं विधानसभा 2003, 13वीं विधानसभा 2008, 14वीं विधानसभा 2013, 15वीं विधानसभा 2018 और 16वीं विधानसभा 2023 में सरदारपुरा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1998, 2008 और 2018 में तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे हैं।
बतौर मुख्यमंत्री इन्होंने राजस्थान में कई ऐसे विकास कार्य किए हैं, जिनका सीधा लाभ आम जनता को मिला है। इन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान हमेशा गरीबों के सर्वागीण विकास पर जोर दिया। यही कारण है कि प्रदेश की आम जनता ने इन्हें तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने का मौका दिया। इन्हें बतौर मुख्यमंत्री सूखा प्रबन्धन, विद्युत उत्पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्तीय प्रबन्धन और सुशासन के लिए जाना जाता है। अशोक गहलोत को अपने पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सदी की भयानक अकाल का सामना करना पड़ा था। मगर अपनी कड़ी मेहनत, प्रभावी और कुशल ढ़ग से इन्होंने अकाल प्रबंधन का कार्य किया। इस दौरान इन्होंने पानी बचाओ, बिजली बचाओ और सबको पढ़ाओ का नारा भी दिया था; जिसे प्रदेश की जनता ने अंगीकार किया। अपने तीसरे कार्यकाल में इन्होंने राज्य की जनता को स्वास्थ्य का अधिकार कानून दिया। इस कानून ने राज्य की जनता को सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने की गारंटी दी।
पहली बार 1980 में जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और 1998 में सरदारपुरा विधानसभा से पहली बार विधायक चुनें गए। भारत की 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं लोकसभा में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद और 1998, 2003, 2008, 2013, 2018, 2023 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। 1998 से 2003 तक, 2008 से 2013 और 2018 से 2023 तक तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर रहे हैं। पाँच बार लोकसभा सांसद और छः बार विधायक रहे हैं। अशोक गहलोत भारत सेवा संस्थान के संस्थापक हैं। इस संस्थान का उद्देश्य राजीव गांधी मेमोरियल बुक बैंक के माध्यम से निःशुल्क पुस्तकें प्रदान करना और एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध करवाना है।
चुनावी हलफनामे के मुताबिक अशोक गहलोत के पास कुल 6 करोड़ 63 लाख रुपए की संपत्ति है; जिसमें 1.4 करोड़ चल और 5 करोड़ अचल संपत्ति है। इनके नाम कोई गाड़ी नहीं है।
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