ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
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ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

Table of Content

  • ममता बनर्जी की जीवनी, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और राजनीति इतिहास:
  • ममता बनर्जी की प्राथमिक शिक्षा
  • ममता बनर्जी का पारिवारिक जीवन
  • ममता बनर्जी का राजनीतिक कैरियर
  • ममता बनर्जी का राजनीतिक इतिहास
  • मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी
  • ममता बनर्जी की उपलब्धियाँ
  • ममता बनर्जी की संपत्ति

ममता बनर्जी की जीवनी, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा और राजनीति इतिहास:


  • नाम- ममता बनर्जी
  • माता का नाम- श्रीमती गायत्री बनर्जी
  • पिता का नाम- श्री प्रोमिलेश्वर बनर्जी
  • शिक्षा- परास्नातक (कानून)
  • जन्मतिथि / उम्र- 5 जनवरी 1955 (69 वर्ष)
  • जन्म स्थान- कोलकाता, पश्चिम बंगाल
  • व्यवसाय / पेशा- राजनीतिज्ञ
  • राजनीतिक पार्टी- ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस
  • पद- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष
  • वैवाहिक स्थिति- अविवाहित
  • भाइयों का नाम- अमित बनर्जी, अजीत बनर्जी, काली बनर्जी, बाबेन बनर्जी, गणेश बनर्जी, समीर बनर्जी
  • जाति और धर्म- ब्राह्मण, हिंदू

भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम दिखाई देता है, इसके बावजूद भी कुछ महिला राजनेताओं ने अपनी एक अलग छवि बनाई हैं जिसमें ममता बनर्जी का नाम सबसे ऊपर की पंक्ति में दिखाई देता है। कांग्रेस की जिला इकाई से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाली ममता वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है। ममता सिर्फ एक राजनेता ही नहीं बल्कि लेखक और कलाकार भी है। इन्होंने कई कविताएँ और पेंटिंग बनाई है। इन्हें लोग दीदी नाम से भी जानते है।


ममता बनर्जी की प्राथमिक शिक्षा

ममता की प्रारंभिक शिक्षा देशबंधु शिशु विद्यालय, कोलकाता से हुई और स्नातक (बीए) की पढ़ाई जोगमाया देवी कॉलेज, कोलकाता से हुई है। 1977 में ममता ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास से परास्नातक (एमए) की डिग्री प्राप्त की और 1982 में जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री ली थी।


ममता बनर्जी का पारिवारिक जीवन

इनका जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकता के एक बंगाली ब्राह्मण (हिंदू) परिवार में हुआ था। इनके पिता प्रोमिलेश्वर एक स्वतंत्रता सेनानी और माता गृहणी थी। जब ममता मात्र 17 वर्ष की थी, तब इनके पिता की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई। ममता के साथ उनकी माँ हर उतार-चढ़ाव में खड़ी रही है, जिस कारण ममता में निष्पक्षता की भावना, गरीब और असहाय लोगों के प्रति दया और उनकी आवाज़ उठाने का साहस पैदा हुआ। ममता की यही खूबी उन्हें पश्चिम बंगाल की राजनीति में फर्श से अर्श तक लेकर जाती है।


ममता बनर्जी का राजनीतिक कैरियर

ममता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कॉलेज की शिक्षा के दौरान कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से शुरू की थी। इसके बाद ममता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति के फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया। ममता दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। ममता ने अपना पहला चुनाव जाधवपुर संसदीय क्षेत्र से 1974 में सोमनाथ चटर्जी को हराकर जीता था। 1997 में ममता ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ अपनी खुद की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनाई। 1999 में ममता ने एनडीए (भाजपा) के साथ गठबंधन कर केंद्रीय रेल मंत्री का कार्यभार संभाला था। इसका बाद 2009 में इन्होंने यूपीए (कांग्रेस) के साथ गठबंधन किया और दोबारा केंद्रीय रेल मंत्री का कार्यभार संभाला और 2012 में यूपीए से समर्थन वापस ले लिया।


अगर पश्चिम बंगाल राज्य की राजनीतिक की बात करें, तो इन्होंने 2006 के कोलकाता नगर निगम चुनाव हारने के बाद अपनी पार्टी के विस्तार पर ज्यादा ध्यान दिया और राज्य के मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी एक अलग छवि बनाई जिसका इन्हें लगातार राजनीतिक लाभ होता रहा है। 2011 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर पश्चिम बंगाल का विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और ममता पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। ममता बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री है। 2011, 2016 और 2021 में तृणमूल कांग्रेस को लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत मिला है। वर्तमान में ममता बनर्जी बतौर मुख्यमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल संभाल रही हैं।


ममता बनर्जी का राजनीतिक इतिहास

पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी काफी लोकप्रिय चेहरा है। बतौर महिला राजनेता ममता ने भारतीय राजनीति में अपनी अलग छवि स्थापित की है। योगमाया देवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान इन्होंने कांग्रेस (आई) पार्टी की छात्र शाखा बनाई और छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की। इस छात्र संगठन ने समाजवादी एकता केंद्र से संबद्ध अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन को हराया था। ममता कांग्रेस (आई) पार्टी में कई पदों पर रहीं थी। 1993 में इन्होंने युवा कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग तक एक विरोध मार्च का आयोजन किया। इस दौरान पुलिस ने 13 लोगों को गोली मार दी और कई लोग घायल हुए। 2014 में उड़ीसा उच्चा न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशांत चटर्जी ने पुलिस की इस प्रतिक्रिया को अकारण और असंवैधानिक बताया था। 1997 में पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्रा के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण इन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस नाम से नई पार्टी की स्थापना की। 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार द्वारा औद्योगिक विकास नीति के नाम पर जबरन भूमि अधिग्रहण और स्थानीय किसानों के खिलाफ किए गए कथित अत्याचारों का विरोध किया था।

इसके बाद ममता को सिंगूर में टाटा नैनो परियोजना के खिलाफ रैली में शामिल होने से रोक दिया गया। ममता दीदी ने इसका विरोध पश्चिम बंगाल के विधानसभा में किया और 12 घंटे में बांग्ला बंद की घोषणा की। 4 दिसंबर को ममता ने कोलकाता में 26 दिनों की ऐतिहासिक भूख हड़ताल शुरू की। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की। 29 दिसंबर की आधी रात ममता ने अपना अनशन तोड़ा और मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता ने सबसे पहले सिंगूर के किसानों को 400 एकड़ जमीन लौटाई। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिंगूर टाटा मोटर्स प्लांट के लिए पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा दी गई 997 एकड़ भूमि को अवैध घोषित कर दिया था।


  • 1974- कांग्रेस पार्टी की जिला इकाई के साथ अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया।
  • 1976- पश्चिम बंगाल में महिला कांग्रेस की महासचिव बनीं।
  • 1984- जाधवपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कम्युनिस्ट सोमनाथ चटर्जी को हराकर अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता और सबसे कम उम्र की महिला सांसद बनीं।
  • 1984- भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव नियुक्त हुई।
  • 1989- कांग्रेस विरोधी लहर की वजह से ममता जादवपुर सीट से लोकसभा चुनाव हार गईं।
  • 1991- कोलकाता दक्षिण से लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुई।
  • 2004- राबिन देब को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी थी।
  • 1991- नरसिम्हा राव की सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और खेल राज्य मंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं।
  • 1993- सभी विभागों से छुट्टी मिली।
  • 1996- कोलकाता दक्षिण से सीपीआई (एम) के भारती मुखर्जी को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी।
  • 1997- ममता ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की।
  • 1998- आम चुनाव में इनके वोटों में 59% की वृद्धि हुई। सीपीआई (एम) के प्रसंता कुमार को हराकर अपनी सीट बरकरार रखीं।
  • 1999- कोलकाता दक्षिणी से सीपीआई (एम) के सुभंकर चक्रवर्ती को हराकर फिर से जीत दर्ज की।
  • 1999- इनकी पार्टी टीएमसी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में शामिल हुई और रेल मंत्री बनीं। देश की पहली महिला रेल मंत्री बनीं थी।
  • 2005- इनकी पार्टी द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जबरन भूमि अधिग्रहण कानून का विरोध किया गया था। इस दौरान इनके साथ लाख से अधिक किसान थे।
  • 2006- टाटा मोटर्स कार परियोजना के खिलाफ इन्होंने प्रमुख हड़ताल का आह्वान किया। इस दौरान इनते पार्टी टीएमसी के विधायकों ने विधानसभा के अंदर फर्नीचर और माइक्रोफोन को नुकसान पहुंचाया।
  • 2006- लोकसभा कार्यवाही के दौरान बांग्लादेशियों के मसले पर ममता ने उप-स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल की तरफ अपने इस्तीफे के कागजात फेंक थे।
  • 2006- कोलकाता नगर निगम चुनाव हारने के बाद ममता ने अपनी पार्टी पर अधिक ध्यान देना शुरू किया।
  • 2009- लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए में शामिल हुई। इस चुनाव में ममता ने कोलकाता दक्षिणी से लगातार पांचवीं जीत दर्ज की और रेल मंत्री बनीं।
  • 2011- टीएमसी और कांग्रेस गठबंधन ने 294 सीटों में से 227 सीटें जीती और ममता पश्चिम बंगाल की 8वीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
  • 2012- यूपीए गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया।
  • 2016- इनकी पार्टी ने 211 सीटें जीती और दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं।
  • 2021- विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की भारी जीत हुई, लेकिन ममता बनर्जी खुद नंदीग्राम से चुनाव हार गयीं। चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री बनीं और भवानीपुर से उपचुनाव लड़ा और भारी मतों से जीतीं।

मुख्यमंत्री के रूप में ममता बनर्जी

बतौर मुख्यमंत्री ममता ने पश्चिम बंगाल में कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनका सीधा फायदा आम गरीब जनता को मिला है। 2011 में ममता ने 34 साल से राज्य में शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी को उखाड़ फेंका और तब से वर्तमान तक लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी है। मुख्यमंत्री के पहले कार्यकाल में ममता ने जनता के लिए ऐसे कार्य किए कि जनता ने उन्हें दीदी का नाम दिया।


ममता बनर्जी की उपलब्धियाँ

इन्हें कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि और कोलकाता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका हैं।


ममता बनर्जी की संपत्ति

चुनाव आयोग के अनुसार इनके पास कुल संपत्ति 16.72 लाख की चल परिसंपत्ति है। ममता के पास ना कोई अपनी गाड़ी है, ना ही कोई बड़ा घर और बंगला है। चुनावी हलफनामे के अनुसार ममता के पास 13.53 लाख बैंक में जमा और 18490 रूपये राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र योजना में जमा हैं। इसके अलावा इनके पास नौ ग्राम जेवर हैं।

लोकप्रिय राजनेता

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