भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम दिखाई देता है, इसके बावजूद भी कुछ महिला राजनेताओं ने अपनी एक अलग छवि बनाई हैं जिसमें ममता बनर्जी का नाम सबसे ऊपर की पंक्ति में दिखाई देता है। कांग्रेस की जिला इकाई से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाली ममता वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है। ममता सिर्फ एक राजनेता ही नहीं बल्कि लेखक और कलाकार भी है। इन्होंने कई कविताएँ और पेंटिंग बनाई है। इन्हें लोग दीदी नाम से भी जानते है।
ममता की प्रारंभिक शिक्षा देशबंधु शिशु विद्यालय, कोलकाता से हुई और स्नातक (बीए) की पढ़ाई जोगमाया देवी कॉलेज, कोलकाता से हुई है। 1977 में ममता ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामी इतिहास से परास्नातक (एमए) की डिग्री प्राप्त की और 1982 में जोगेश चंद्र चौधरी कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री ली थी।
इनका जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकता के एक बंगाली ब्राह्मण (हिंदू) परिवार में हुआ था। इनके पिता प्रोमिलेश्वर एक स्वतंत्रता सेनानी और माता गृहणी थी। जब ममता मात्र 17 वर्ष की थी, तब इनके पिता की इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई। ममता के साथ उनकी माँ हर उतार-चढ़ाव में खड़ी रही है, जिस कारण ममता में निष्पक्षता की भावना, गरीब और असहाय लोगों के प्रति दया और उनकी आवाज़ उठाने का साहस पैदा हुआ। ममता की यही खूबी उन्हें पश्चिम बंगाल की राजनीति में फर्श से अर्श तक लेकर जाती है।
ममता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कॉलेज की शिक्षा के दौरान कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से शुरू की थी। इसके बाद ममता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति के फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया। ममता दो बार केंद्रीय मंत्री और तीन बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। ममता ने अपना पहला चुनाव जाधवपुर संसदीय क्षेत्र से 1974 में सोमनाथ चटर्जी को हराकर जीता था। 1997 में ममता ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ अपनी खुद की पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनाई। 1999 में ममता ने एनडीए (भाजपा) के साथ गठबंधन कर केंद्रीय रेल मंत्री का कार्यभार संभाला था। इसका बाद 2009 में इन्होंने यूपीए (कांग्रेस) के साथ गठबंधन किया और दोबारा केंद्रीय रेल मंत्री का कार्यभार संभाला और 2012 में यूपीए से समर्थन वापस ले लिया।
अगर पश्चिम बंगाल राज्य की राजनीतिक की बात करें, तो इन्होंने 2006 के कोलकाता नगर निगम चुनाव हारने के बाद अपनी पार्टी के विस्तार पर ज्यादा ध्यान दिया और राज्य के मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी एक अलग छवि बनाई जिसका इन्हें लगातार राजनीतिक लाभ होता रहा है। 2011 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर पश्चिम बंगाल का विधानसभा का चुनाव लड़ा। इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और ममता पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। ममता बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री है। 2011, 2016 और 2021 में तृणमूल कांग्रेस को लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत मिला है। वर्तमान में ममता बनर्जी बतौर मुख्यमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल संभाल रही हैं।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी काफी लोकप्रिय चेहरा है। बतौर महिला राजनेता ममता ने भारतीय राजनीति में अपनी अलग छवि स्थापित की है। योगमाया देवी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान इन्होंने कांग्रेस (आई) पार्टी की छात्र शाखा बनाई और छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की। इस छात्र संगठन ने समाजवादी एकता केंद्र से संबद्ध अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन को हराया था। ममता कांग्रेस (आई) पार्टी में कई पदों पर रहीं थी। 1993 में इन्होंने युवा कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ कोलकाता में राइटर्स बिल्डिंग तक एक विरोध मार्च का आयोजन किया। इस दौरान पुलिस ने 13 लोगों को गोली मार दी और कई लोग घायल हुए। 2014 में उड़ीसा उच्चा न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशांत चटर्जी ने पुलिस की इस प्रतिक्रिया को अकारण और असंवैधानिक बताया था। 1997 में पश्चिम बंगाल के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्रा के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण इन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस नाम से नई पार्टी की स्थापना की। 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार द्वारा औद्योगिक विकास नीति के नाम पर जबरन भूमि अधिग्रहण और स्थानीय किसानों के खिलाफ किए गए कथित अत्याचारों का विरोध किया था।
इसके बाद ममता को सिंगूर में टाटा नैनो परियोजना के खिलाफ रैली में शामिल होने से रोक दिया गया। ममता दीदी ने इसका विरोध पश्चिम बंगाल के विधानसभा में किया और 12 घंटे में बांग्ला बंद की घोषणा की। 4 दिसंबर को ममता ने कोलकाता में 26 दिनों की ऐतिहासिक भूख हड़ताल शुरू की। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात की। 29 दिसंबर की आधी रात ममता ने अपना अनशन तोड़ा और मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता ने सबसे पहले सिंगूर के किसानों को 400 एकड़ जमीन लौटाई। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिंगूर टाटा मोटर्स प्लांट के लिए पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चे की सरकार द्वारा दी गई 997 एकड़ भूमि को अवैध घोषित कर दिया था।
बतौर मुख्यमंत्री ममता ने पश्चिम बंगाल में कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनका सीधा फायदा आम गरीब जनता को मिला है। 2011 में ममता ने 34 साल से राज्य में शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी को उखाड़ फेंका और तब से वर्तमान तक लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बन चुकी है। मुख्यमंत्री के पहले कार्यकाल में ममता ने जनता के लिए ऐसे कार्य किए कि जनता ने उन्हें दीदी का नाम दिया।
इन्हें कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि और कोलकाता विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार इनके पास कुल संपत्ति 16.72 लाख की चल परिसंपत्ति है। ममता के पास ना कोई अपनी गाड़ी है, ना ही कोई बड़ा घर और बंगला है। चुनावी हलफनामे के अनुसार ममता के पास 13.53 लाख बैंक में जमा और 18490 रूपये राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र योजना में जमा हैं। इसके अलावा इनके पास नौ ग्राम जेवर हैं।
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