एम के स्टालिन यानी मुथिवेल करुणानिधि स्टालिन दक्षिण भारत में एक मजबूत राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। स्टालिन के जन्म के चार दिन बाद सोवियत रूस के नेता जोसेफ स्टालिन का निधन हुआ था। इनके पिता और तमिलनाडु के पांच बार के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने सोवियत रूस के नेता जोसेफ स्टालिन के मौत पर एक शोक सभा को संबोधित करते हुए अपने चार दिन के बच्चे का नाम स्टालिन के नाम पर रखने का निर्णय लिया और इस प्रकार एमके स्टालिन का नाम रखा गया था। एम करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दायलु अम्मल के तीसरे बेटे के रूप में स्टालिन का जन्म तमिलनाडु में हुआ था। एमके स्टालिन ने आपातकाल के दौरान जेल की सजा से लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। वर्तमान में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और देश के चर्चित राजनेताओं में से एक हैं।
चेन्नई के चेटपेट क्रिश्चियन कॉलेज से उच्च-माध्यमिक शिक्षा प्राप्त कर स्टालिन ने विवेकानंद कॉलेज से प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स किया। चेन्नई के प्रेजिडेंसी कॉलेज से 1973 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद सन् 2009 में इन्हें अन्ना विश्वविद्यालय द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
इनकी शादी दुर्गा स्टालिन से 20 अगस्त 1975 में हुई। इन दोनों के दो संतान (एक पुत्र और एक पुत्री) हैं। दुर्गा स्टालिन के बारे में कहा जाता है कि वह काफी धार्मिक स्वभाव की हैं और नियमित रूप से पूजा-पाठ करती है। एमके स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रविड़ नेता एम करुणानिधि और उनकी दूसरी पत्नी दयालु अम्मल की तीसरी संतान है। एमके स्टालिन के पुत्र उदयनिधि स्टालिन राजनेता के साथ-साथ अभिनेता भी हैं। स्टालिन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने अच्छा लगता है।
मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो द्रविड़ आंदोलन से जुड़ा हुआ था। इनके पिता एम करुणानिधि द्रविड़ आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक रहे हैं। पिता का राजनीति से जुड़े होने के कारण एमके स्टालिन की राजनीतिक समझ बचपन से ही अच्छी थी। स्टालिन सामाजिक न्याय, समानता और तमिल गौरव से भलीभांति परिचित है। अपने राजनीतिक समझ के कारण वर्तमान में एमके स्टालिन द्रविड़ आंदोलन के प्रमुख नेता माने जाते हैं।
मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़ी हस्ती हैं। अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से इन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में अपनी अलग जगह बनायी है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के एक साधारण सदस्य के रूप में इन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की और आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री है। इतने लंबे राजनीतिक सफर में इन्होंने डीएमके के लिए कई पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 14 वर्ष की उम्र में अपने पिता एम करुणानिधि के साथ चुनाव प्रचार के साथ शुरू किया। मगर इनकी सक्रिय राजनीतिक पारी की शुरुआत 1968 में शुरू हुई, जब इन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर डीएमके यूथ विंग की स्थापना की। स्टालिन ने यूथ विंग के शुरुआती दिनों में जमीनी स्तर पर जाकर राजनीति की और पूरे तमिलनाडु की यात्री की। 1968 से 2018 तक स्टालिन डीएमके यूथ विंग के सचिव पद पर रहे हैं।
1973 में स्टालिन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की आम समिति के लिए निर्वाचित हुए। आपातकाल का विरोध करने पर स्टालिन को तत्कालीन इंदिरा सरकार द्वारा आन्तरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत जेल में बंद किया गया। आपातकाल का विरोध करने से स्टालिन खूब सुर्खियों में आए, जिसका इन्हें राजनीतिक रूप से समय-समय पर लाभ भी मिलता रहा है।
30 जून 1976 को स्टालिन ने आपातकाल के खिलाफ चेन्नई के तिरुवल्लूर शहर में एक विरोध रैली का नेतृत्व किया। इसके बाद उन्हें उनके पिता एम. करुणानिधि व अन्य डीएमके नेताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था। आपातकाल के दौरान जेल जाने से एमके स्टालिन पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके बाद स्टालिन मानवाधिकार और नागरिक स्वतंत्रता के समर्थक बन गए। 23 जनवरी 1977 को स्टालिन को रिहा कर दिया गया। आपातकाल में जेल जाने से स्टालिन को एक नई राजनीतिक पहचान मिली, जबकि पहले उन्हें सिर्फ उनके पिता करुणानिधि के बेटे के तौर पर जाना जाता था।
स्टालिन ने 1984 में पहली बार थाउजेंड लाइट्स विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी सीट से 1989 में पहली बार विधायक चुने गए और इसके बाद 1996, 2001, 2006, 2011, 2016, 2021 में इसी सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे। स्टालिन 2011 से 2016 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 2021 में स्टालिन ने कोलाथुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जिसमें 75 हजार वोटों से जीत हासिल की। 07 मई 2021 को स्टालिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। स्टालिन ने अब तक नौ बार विधानसभा चुनाव लड़ा है, जिसमें सात बार विधायक चुने गए है। इस दौरान इन्होंने 6 बार थाउजेंट लाइट्स और तीन बार कोलाथुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है।
एम के स्टालिन पहली बार 1996 में चेन्नई के निर्वाचित मेयर बने और 2001 में फिर से मेयर चुने गए। इसके बाद से तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने तमिलनाडु नगर कानून अधिनियम- 2002 को अधिनियमित किया। यह कानून एक व्यक्ति को सरकार में दो पदों पर निर्वाचित होने से रोकता है। इस कानून को जयललिता सरकार विशेष रूप से स्टालिन को चेन्नई के मेयर पद से हटाने के उद्देश्य से लेकर आई थी। इस मामले में मद्रास हाई-कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए इस कानून को अप्रभावी करार दिया और माना कि चेन्नई सिटी नगर निगम अधिनियम 1919 के तहत एक व्यक्ति को लगातार दो बार कार्यकाल के लिए मेयर नहीं बन सकता है।
सन् 2021 के विधानसभा चुनाव में एमके स्टालिन ने ‘धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन’ के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, जिसमें 234 सीटों में से 159 सीटों पर जीत हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। गठबंधन नेता के रूप में स्टालिन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला और कोरोना महामारी की लहर के बावजूद स्टालिन काम पर लगें। जनता की आवश्यकता को पूरी करने के लिए मिशन मोड में अस्पतालों में बिस्तर, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा आपूर्ति बहाल की और पीपीई सूट पहन प्रदेश भर के अस्पतालों का दौरा कर आम जनता का हालचाल जाना था।
कोरोना महामारी के बाद राज्य की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए एक आर्थिक सलाहकार परिषद की स्थापना की। इससे तमिलनाडु कोरोना में सबसे अधिक बर्बादी से सबसे कम बर्बादी वाला राज्य बना। प्रदेश के सभी जातियों के प्रशिक्षित उम्मीदवारों को मंदिर के पुजारी के रूप में मानव संसाधन और सीई विभाग में नियुक्ति का आदेश दिया। स्टालिन के इस आदेश में सभी लोगों के लिए पूजा में समान अधिकार पर बल दिया गया। इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा किए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे में एमके स्टालिन को 42 प्रतिशत समर्थन प्राप्त हुआ, जिसमें भारत के सभी मुख्यमंत्रियों में स्टालिन टॉप पर रहे थे। सितंबर 2021 में स्टालिन ने घोषणा की कि पेरियार की जयंती हर साल सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाई जाएगी।
एमके स्टालिन ने पिछली राज्य सरकार द्वारा दायर कानूनी मामलों की समीक्षा कर समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए और इस दौरान 5570 पत्रकारों और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दायर किए गए मामलों को वापस लिया गया। इसके अलावा उन्गल थोगुथियिल मुधलामाइचर, मक्कलाई थेडी मारुथुवम, तमिलनाडु का पहला कृषि बजट, इलम थेडी कालवी, इनुयिर कप्पोम-नम्मई कक्कम-48, मुख्यमंत्री डैशबोर्ड, मुख्यमंत्री नाश्ता योजना और ग्रीन तमिलनाडु मिशन जैसे कई योजनाएं लागू की।
अपने पहले मेयर कार्यकाल के दौरान एमके स्टालिन ने चेन्नई में कई विकास कार्य किए, जिनमें प्रमुख फ्लाईओवर्स एवं छोटे पुलों निर्माण, सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाना, सिंगारा चेन्नई और होगेनेक्कल जय योजना नामक परियोजनाएँ आदि कार्यों ने इन्हें शहर के पिता की उपाधि दिलाई थी।
2018 में एम करुणानिधि के निधन के बाद एमके स्टालिन ने डीएमके पार्टी की जिम्मेदारी संभाली और डीएमके को अपने नेतृत्व में आगे लेकर गए। इस दौरान स्टालिन ने जमीनी स्तर पर आंदोलन किए और प्रदेश में अपना जन आधार बढ़ाने की दिशा में काम किया। एमके स्टालिन ने अपने नेतृत्व में प्रदेश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर ‘धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन’ का गठन किया और समाज में समावेशी व न्यायसंगत विचारधारा को आगे बढ़ाने की दिशा में काम किया। स्टालिन का यह प्रयास उन्हें तमिलनाडु की राजनीति में एक मजबूत राजनेता बनाता है।
2021 के चुनावी हलफनामे के अनुसार इनकी कुल संपत्ति 8.89 करोड़ है। वर्तमान में इनकी संपत्ति के सही आंकड़े ना होने के कारण इनकी संपत्ति के घटने और बढ़ने के आसार दिखाई देते है। इसलिए दिए गए आंकड़े को अनुमानित माना जा सकता है।
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