नाम- मपन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे
माता का नाम- साईबाव्वा खड़गे
पिता का नाम- मपन्ना खड़गे
शिक्षा- बीए (गुलबर्गा, महाविद्यालय), एलएलबी (सेठ शंकरलाल लाहोटी विधि महाविद्यालय)
जन्मतिथि / उम्र- 21 जुलाई 1942 (82 वर्ष)
जन्म स्थान- वरावट्टी, भालकी तालुक, बीदर, कर्नाटक
व्यवसाय / पेशा- राजनीतिज्ञ और वकालत
राजनीतिक पार्टी- कांग्रेस
पद- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विपक्ष के नेता, राज्यसभा
जीवनसाथी का नाम- राधाबाई खड़गे (13 मई 1968)
बच्चों के नाम- प्रियंक, राहुल, प्रियदर्शिनी, जयश्री और मिलिंद
आरोप- कोई आरोप नहीं है
विदेश यात्रा- (ज्ञात नहीं है)
जाति और धर्म- दलित, हिंदू
वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं। खड़गे का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है। भारत सरकार में रेल मंत्री से लेकर श्रम एवं रोजगार मंत्री तक की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। साथ ही खड़गे 16 फरवरी 2021 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे मूल रूप से कर्नाटक से संबंध रखते हैं और जगजीवन राम (1970) के बाद कांग्रेस पार्टी के दूसरे दलित अध्यक्ष हैं। खड़गे के बारे में कहा जाता है कि ये हिंदी, कन्नड़, मराठी, उर्दू और अंग्रेजी में पारंगत हैं। इनको सोलिलाडा सरदार के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ- अपराजित सरदार होता है। मल्लिकार्जुन खड़गे सख्त अनुशासन और सजग स्वभाव के माने जाते हैं। इनकी माता जी और परिवार के अन्य सदस्यों की मृत्यु एक सांप्रदायिक हिंसा में हुई, जब ये मात्र 7 वर्ष के थे। इस घटना ने इनके ऊपर गहरा प्रभाव डाला, जिसके कारण इनकी विचारधारा धर्मनिरपेक्ष रूप में विकसित हुई। मल्लिकार्जुन खड़गे कबड्डी और हॉकी में राज्य स्तरीय खिलाड़ी रहे हैं। इसके अलावा इन्हें फुटबॉल और क्रिकेट से खासा लगाव है।
इनकी प्राथमिक शिक्षा गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से हुई है और गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज से इन्होंने कला से स्नातक की डिग्री और गुलबर्गा के सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल के कार्यालय में बतौर जूनियर के रूप में इन्होंने अपनी कानून की प्रैक्टिस शुरू की और अपने कानूनी करियर में श्रमिक संघों के कई मामलों की न्यायिक लड़ाई लड़ी।
इनकी शादी राधाबाई से 13 मई 1968 को हुई। राधाबाई और इनके (तीन पुत्र- राहुल, प्रियांक और मिलिंद और दो पुत्री- प्रियदर्शिनी और जयश्री) पांच बच्चे हैं। प्रियांक को छोड़कर इनका कोई भी बच्चा राजनीति में नहीं है। इनके दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि गुलबर्गा लोकसभा से सांसद है। वर्ष 2006 में इन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार करने (मानने) की घोषणा की।
इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ नेता के रूप में की और गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज में छात्र संगठन के महासचिव रहे हैं। 1969 में खड़गे एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बनें। संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ के नेता के रूप में इन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। 1969 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 9 बार कर्नाटक के विधानसभा सदस्य, दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। इनका राजनीतिक सफर लंबा रहा है और ये 1969 से लगातार राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। आज देश में इन्हें एक दलित नेता और कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष रूप में जाना जाता है।
वर्ष 1969 में खड़गे ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और मात्र 27 वर्ष की उम्र में गुलबर्गा शहर कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। इसी वर्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निष्कासित किया गया था। सन् 1972 में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक का विधानसभा चुनाव लड़ा और गुरमितकल विधानसभा से जीत हासिल की। 1973 में इन्हें चुंगी उन्मूलन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस समिति ने कर्नाटक में नगर पालिका और नगर निकायों की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर काम किया। इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन कर्नाटक की देवराज सरकार ने चुंगी शुल्क समाप्त किया था।
सन् 1974 में खड़गे को कर्नाटक राज्य के स्वामित्व वाले चमड़ा विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस दौरान खड़गे ने अपनी कार्य कुशलता से चमड़ा उद्योग से जुड़े प्रदेश के हजारों मोचियों की जीवन स्थितियों को सुधारने के लिए काम किया। 1976 में इन्हें कर्नाटक का प्राथमिक शिक्षा राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। इस दौरान इन्होंने एससी और एसटी शिक्षकों की 16 हजार से अधिक बैकलॉग रिक्तियों को भर्ती करके भरने का काम किया।
1978 में दूसरी बार गुरमितकल विधानसभा से विधायक चुने गए और डी देवराज की सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायत राज राज्यमंत्री और 1980 में आर गुंडू राव सरकार में राजस्व मंत्री रहे। इस दौरान इन्होंने प्रदेश में प्रभावी तरीकों से भूमि सुधार के क्षेत्र में काम कर लाखों भूमिहीन किसानों और मजदूरों को अधिभोग का अधिकार दिया। 1983 में तीसरी बार और 1985 में चौथी बार खड़गे गुरमितकल विधानसभा से विधायक चुने गए। 1985 से 1989 तक कर्नाटक विधानसभा में खड़गे ने उपनेता की भूमिका निभाई। 1989 में पांचवीं बार गुरमितकल विधानसभा से विधायक चुने गए। 1990 में एस बंगरप्पा सरकार में राजस्व, ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री रहे।
1992 से 1994 के बीच में एम वीरप्पा मोइली सरकार में सहकारिता, मध्यम और बड़े उद्योग मंत्री रहे। 1994 में छठी बार गुरमितकल विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। 1999 में सातवीं बार कर्नाटक विधानसभा के लिए चुने गए और इस बार मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार थे। मगर मुख्यमंत्री नहीं बन पाए और कर्नाटक के लिए विशेष रूप से कठिन समय के दौरान एस एस कृष्णा सरकार में गृहमंत्री रहे। कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन द्वारा कन्नड़ अभिनेता राजकुमार को किडनैप किया गया। इस घटना में खड़गे ने अपनी सूझबूझ से अभिनेता राजकुमार को आजाद करवाने में अहम भूमिका निभाई।
2004 में आठवीं बार गुरमितकल और 2008 में चितापुर विधानसभा से लगातार नौवीं बार कर्नाटक विधानसभा के सदस्य चुने गए। 2004 में इन्हें मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार माना गया, मगर राजनीति हालातों के चलते इन्हें धरम सिंह की सरकार में परिवहन और जल संसाधन मंत्री तक सीमित रहना पड़ा। 2008 में खड़गे दूसरी बार नेता प्रतिपक्ष रहे। खड़गे अपनी राजनीतिक जीवन में सिर्फ 2019 का आम चुनाव कांग्रेस से भाजपा में गए उमेश जाधव से हारे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के बारे में कहा जाता है कि ये तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।
2005 में इन्हें कांग्रेस ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया और इसके तुरंत बाद हुए पंचायत चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा और जद (एस) की तुलना में सबसे अधिक सीट जीतीं। इस जीत ने कर्नाटक के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में सहायता की। 2009 में खड़गे ने गुलबर्गा लोकसभा सीट से आम चुनाव लड़ा और लगातार दसवीं चुनावी जीत दर्ज की। 2014 में मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोबारा गुलबर्गा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। कांग्रेस पार्टी ने इन्हें लोकसभा में अपना नेता (2014-2019) बनाया। 2019 का आम चुनाव मल्लिकार्जुन खड़गे गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र से हार गए।
12 जून 2020 को खड़गे 78 वर्ष की उम्र में कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए। 12 फरवरी 2021 को इन्हें राज्यसभा में कांग्रेस ने अपना नेता नियुक्त किया। 1 अक्टूबर 2022 को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव लड़ने के लिए इन्होंने राज्यसभा के नेता पद से इस्तीफा दिया। वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा के सांसद और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर हैं।
1972 से 2008 तक लगातार नौ बार विधायक चुने गए।
1996 से 1999 तक कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
2005 से 2008 तक कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
2009 से 2013 तक केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री रहे।
1972 से 2008 तक गुरमितकल विधानसभा से विधायक रहे।
2008-09 तक चित्तपुर विधानसभा से विधायक रहे।
1999 से 2004 तक कर्नाटक सरकार में गृहमंत्री रहे।
1978 से 1980 तक कर्नाटक सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे।
2009 से 2019 तक कर्नाटक के गुलबर्गा से लोकसभा सांसद रहे।
2014 में असम के पर्यवेक्षक चुने गए।
2016 से 2019 तक लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे।
2018 से 2020 तक कांग्रेस महासचिव और महाराष्ट्र के प्रभारी रहे।
2020 में कर्नाटक से निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए।
2021 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं।
2021 में पंजाब के पर्यवेक्षक चुने गए।
2022 में राजस्थान के पर्यवेक्षक चुने गए।
2022- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हुए। (वर्तमान में अध्यक्ष पद पर हैं।)
बतौर राजनेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधायक, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, लोकसभा सांसद और लोकसभा में विपक्ष का नेता, राज्यसभा सांसद और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष से लेकर कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने तक सफर तय किया है।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
कर्नाटक सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री
केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री
केंद्रीय रेल और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री
राज्यसभा में विपक्ष के नेता
9 बार विधायक, 02 बार लोकसभा और 01 बार राज्यसभा सांसद
अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, कन्नाड़, तेलुगु और मराठी भाषा में पारंगत
चुनाव आयोग के अनुसार मल्लिकार्जुन खड़गे की (चल- 3.79 करोड़ और अचल- 16.32 करोड़) कुल संपत्ति करीब 20 करोड़ के आस-पास है। वही इनके ऊपर 23 लाख की देनदारी भी है। इनकी कुल अचल संपत्ति करीब 16 करोड़ है, जिसमें इनकी स्वयं की संपत्ति 7 करोड़ और पत्नी की संपत्ति 8 करोड़ से अधिक है।
चल संपत्ति में नकद, बैंक और गैर बैंकिंग संस्थाओं में जमा पूंजी, बॉन्ड्स, डिबेंचर और कंपनियों के शेयर, एनएसएस, पोस्टल सेविंग, एलआईसी और अन्य बीमा (कुल संपत्ति में शामिल नहीं), मोटर वाहन, गहने-आभूषण, अन्य मूल्यवान वस्तु शामिल होती हैं। जबकि अचल संपत्ति में कृषि भूमि, इमारत, घर और अन्य सामाग्री शामिल होती हैं।
बतौर राजनेता मल्लिकार्जुन खड़गे का स्वभाव बेहद शांत माना जाता है, मगर फिर भी इनका नाम कई विवादों से जुड़ा रहा हैं। 2014 में इनके खिलाफ एक लोकायुक्त शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया गया था कि इनके पास 50 हजार करोड़ की संपत्ति है, जो इनकी आय के ज्ञान स्रोतों से अधिक है।
2008 में कर्नाटक भाजपा ने इनके ऊपर चिकमगलूर में 300 एकड़ काफी बागान ( जिसकी कीमत 1000 करोड़) होने का आरोप लगाया था। 2018 में भाजपा ने इनके ऊपर फिर से आरोप लगाया था कि इनके पास बन्नेरघट्टा में 500 करोड़ का एक विशाल परिसर है।
मल्लिकार्जुन खड़गे यंग इंडिया लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि हैं, जो एसोशिएटेड जर्नल्स के मालिक हैं। नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यंग इंडिया ईडी की जांच के दायरे में है। ईडी खड़गे को 5 हजार करोड़ रूपये के कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब कर चुकी है। यंग इंडिया लिमिटेड के कार्यालयों को आंशिक रूप से सील करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे से सात घंटे से अधिक समय तक पूछताछ भी हो चुकी है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव प्रचार के दौरान भोपाल में मीडिया द्वारा पूछा गया कि क्या 2024 में सबसे पुरानी पार्टी उन्हें या राहुल गांधी को अपने प्रधानमंत्री पद के लिए मैदान में उतारेगी ? इस सवाल के जवाब देते हुए खड़गे ने कहा- ‘एक कहावत है- बकरीद में बचेंगे तो मुहर्रम में नाचेंगे’ पहले इन चुनावों को खत्म होने दो और मुझे अध्यक्ष बनने दो फिर हम देखेंगे। इस बयान पर इनकी खूब किरकिरी हुई।
द्रौपदी मुर्मू जब देश की राष्ट्रपति बनीं, तब मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में विपक्ष नेता के तौर पर शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया। मगर कांग्रेस ने दावा किया कि समारोह के दौरान खड़गे को उनके पद के अनुरूप सीट नहीं दी गई। हालांकि, केंद्र ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा था कि एलओपी राज्यसभा को कैबिनेट मंत्रियों के बराबर सीट दी गई थी।
इनके ऊपर लिखी गई पुस्तक आसानी से ऑनलाइन और ऑफ लाइन बाजार में उपलब्ध हैं।
'मल्लिकार्जुन खड़गे: करुणा, न्याय और समावेशी विकास के साथ राजनीतिक जुड़ाव' (“Mallikarjun Kharge: Political Engagement with Compassion, Justice, and Inclusive Development”) - सुखदेव थोरात और चेतन शिंदे
इनके द्वारा ‘द ग्रेट इंडियन मंथन, स्टेट, स्टेटक्राफ्ट एंड द रिपब्लिक’ पुस्तक का एक अध्याय लिखा गया है। यह पुस्तक ‘पेंगुइन रैंडम हाउस’ से प्रकाशित हुई है।
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर- मपन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे की पत्नी का नाम क्या है ?
उत्तर- राधाबाई खड़गे
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे के कितने बच्चे हैं ?
उत्तर- पांच ( तीन लड़के और दो लड़कियाँ)
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कब और कहां हुआ था ?
उत्तर- 21 जुलाई 1942 को वरावट्टी, भालकी तालुक, बीदर, कर्नाटक में हुआ।
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे कितनी बार विधायक रहे हैं ?
उत्तर- 9 बार (8 बार गुरमितकल और 01 बार चितापुर विधानसभा से)
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे लोकसभा सांसद कितनी बार रहे हैं ?
उत्तर- दो बार (2009 और 2014- गुलबर्गा लोकसभा सीट से)
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे के पिता का क्या नाम है ?
उत्तर- मपन्ना खड़गे
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे की माता का क्या नाम है ?
उत्तर- साईबाव्वा खड़गे
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे का कौन-सा बेटा राजनीति में है ?
उत्तर- प्रियांक खड़गे
प्रश्न- मल्लिकार्जुन खड़गे किस समाज से संबंध रखते हैं ?
उत्तर- दलित समाज से
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