नाम- अजित अनंतराव पवार
माता का नाम- आशा ताई
पिता का नाम- श्री अनंतराव पवार
शिक्षा- 10वीं पास (महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड)
जन्मतिथि / उम्र- 22 जुलाई 1959 (65 वर्ष)
जन्म स्थान- देवलाली प्रवर, अहमदनगर, महाराष्ट्र
व्यवसाय / पेशा- राजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टी- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
पद- उप-मुख्यमंत्री (महाराष्ट्र), एनसीपी- अध्यक्ष
भाई- श्रीनिवास
बहन- विजया पाटिल
जीवनसाथी का नाम- सुनेत्रा पवार (1985)
बच्चों का नाम- जय पवार, पार्थ पवार
आरोप- इनके ऊपर आईपीसी की 341, 427, 447,448, 420, 504, 506 धाराओं तहत मामले दर्ज हैं।
विदेश यात्रा- ज्ञान नहीं
जाति और धर्म- मराठा (ओबीसी), हिंदू
अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले राजनेता माने जाते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि इन्हें गाड़ियों का शौक है और इनके पास कारों का एक अच्छा कलेक्शन हैं। बतौर राजनेता अजित पवार खूब विवादों में रहे हैं। कभी अजित पवार को शरद पवार का बांया हाथ कहा जाता है, मगर इन्होंने चाचा शरद पवार के खिलाफ जाकर सत्ताधारी दल एनडीए का समर्थन किया। चाचा शरद पवार से पार्टी और पार्टी निशान छिनकर भतीजे अजित ने उन्हें बड़ा राजनीतिक झटका दिया। इसके बाद शरद पवार को नयी पार्टी बनानी पड़ी। चाचा और भतीजे के बीच राजनीतिक संघर्ष जारी है। अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में ‘दादा’ नाम से जाना जाता है।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा बारामती से हुई है और चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के अनुसार इन्होंने सिर्फ 10वीं तक ही पढ़ाई की है। पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इन्होंने अपनी पढ़ाई आधे में छोड़ दी थी। पढ़ाई छोड़ने के बाद अजित धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय हुए। चाचा शरद पवार के मार्गदर्शन से राजनीति में कदम रखा और आगे बढ़ते गए।
इनकी शादी सुनेत्रा पवार से 1985 में हुई। सुनेत्रा पवार महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री डॉ. पद्मसिंह बाजीराव पाटिल की सौतेली बहन है। अजित और सुनेत्रा के दो (बेटे) बच्चे हैं, जिनमें से जय पवार बिजनेस मैन और पार्थ पवार राजनेता हैं। इनके पिता अनंतराव पवार प्रसिद्ध फिल्म निर्माता वी. शांताराम के लिए राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। इनके दादा गोविंद पवार और दादी शारदा पवार के कुल 11 बच्चे थे।
इन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1991 में बारामती लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर की। मगर इससे पहले 1982 में सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड सदस्य के रूप में इन्होंने काम किया। 1991 में बारामती से अजित पवार सांसद चुने गए, लेकिन चाचा शरद पवार के लिए इन्होंने अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया।
सन् 1991 में अजित पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए और कई वर्षों तक इस पद पर रहे। 1995 में बारामती विधानसभा से अजित पहली बार विधायक चुने गए और तब से (1995, 1999, 2004, 2009, 2014, 2019) में लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। अजीत पवार पहली बार 11 नवंबर 2010 से 25 सितंबर 2012 तक महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद दूसरी बार 7 दिसंबर 2012 से 28 सितंबर 2014 तक, तीसरी बार 23 नवंबर 2019 से 26 नवंबर 2019 तक, चौथी बार 30 दिसंबर 2019 से 29 सितंबर 2022 तक और पांचवी बार 2 जुलाई 2023 में बनें। महाराष्ट्र की राजनीति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के पास 10 बार डिप्टी सीएम का पद रहा है और जिसमें इनके नाम सबसे अधिक पांच बार उप-मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड दर्ज है।
अजित पवार पहली बार 1991 में सुधाकरराव नाइक की सरकार में कृषि और बिजली राज्य मंत्री बने। 1992 में शरद पवार की सरकार में मृदा संरक्षण, बिजली और योजना राज्य मंत्री बने। 1999 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। 2003 में सुशील कुमार शिंदे सरकार में इन्हें ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई। 2004 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की जीत के बाद इन्हें देशमुख और अशोक चव्हाण सरकार में जल संसाधन मंत्रालय दिया गया।
इन्होंने 2019 में एनसीपी के खिलाफ बगावत कर कुछ विधायकों के साथ भाजपा का समर्थन किया और 23 नवंबर से 26 नवंबर 2019 तक (80 घंटे से भी कम) चली सरकार में उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद अजित पवार एनसीपी में वापस लौट आए और 2019 से 2022 तक महा विकास अघाड़ी सरकार में सदन के उपनेता और वित्त, जल संसाधन मंत्री रहे। 2022 में शिवसेना दो भागों में टूट गई और एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और अजित पवार सदन में विपक्ष के नेता बने।
अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में चार बार वित्त और योजना मंत्री, तीन बार जल संसाधन मंत्री, दो बार ऊर्जा मंत्री और एक-एक बार ग्रामीण विकास विभाग, जलापूर्ति, स्वच्छता कमान क्षेत्र विकास, कृष्णा घाटी सिंचाई निगम, सिंचाई विभाग के कैबिनेट मंत्री और अन्य जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 2023 में अजित पवार और शरद पवार के बीच राजनीतिक संघर्ष बढ़ा और अजित पवार एनसीपी को कुछ विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना के गठबंधन में शामिल हो गए। 2023 में अजित पवार फिर से उप-मुख्यमंत्री बनें। वर्तमान में अजित पवार महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री के साथ-साथ वित्त और योजना मंत्री हैं।
1991- पहली बार बारामती संससदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुने गए।
1995- पहली बार बारामती विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए।
1995, 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 में लगातार विधायक बने हैं।
बतौर राजनेता अजित पवार की विभिन्न उपलब्धियां हैं, जिसमें लगातार 6 बार एक ही विधानसभा क्षेत्र (बारामती) से चुनाव जीतना, पांच बार महाराष्ट्र का उप-मुख्यमंत्री बनाना और अब तक एक भी चुनाव नहीं हारना अन्य उपलब्धियां शामिल हैं।
पांच बार उप-मुख्यमंत्री पद पर रहे हैं।
प्रदेश सरकार में आठ बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं।
प्रदेश सरकार में दो बार राज्य मंत्री रहे हैं।
विधानसभा में एक बार विपक्ष के नेता रहे हैं।
विधानसभा में एक बार सदन के उप-नेता रहे हैं।
विधान परिषद में एक बार सदन के नेता रहे हैं।
लोकसभा सांसद (3 मई से 20 जून 1991 तक) रहे।
विधानसभा के 6 बार लगातार सदस्य रहे हैं।
हमारे देश में राजनेताओं का विवादों से जुड़ा रहना आम बात है। बतौर राजनेता अजित पवार भी विभिन्न विवादों से जुड़े रहे हैं।
महाराष्ट्र के नौकरशाह विजय पंधारे ने 2012 में अजित पवार के ऊपर 70, 000 करोड़ की हेराफेरी का आरोप लगाया और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने अजित पवार से मंत्री पद से इस्तीफा मांगा था। हालांकि, अजित पवार पर आरोप साबित नहीं हो पाए। इसके बाद भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2014 में अजित पवार का 70,000 करोड़ रूपये के सिंचाई घोटाले में संलिप्त होने पर प्रकाश डाला। बतौर जल संसाधन मंत्री के रूप में अजित पवार के ऊपर उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में सिंचाई परियोजनाओं में अनियमितताओं के आरोप सामने आए थे। इन आरोपों के कारण अजित पवार खूब सुर्खियों में रहे और वर्तमान में अजित पवार महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में उप-मुख्यमंत्री है।
इंदापुर में 7 अप्रैल 2013 को अजित पवार ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा सूखे के दौरान पानी उपलब्ध कराने में असमर्थता का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं द्वारा 55 दिनों के उपवास के जवाब में पूछा- “क्या उन्हें पानी की कमी की भरपाई के लिए बांध में पेशाब करना चाहिए।” इस बयान के बाद अजित पवार की खूब किरकिरी हुई। सार्वजनिक आक्रोश के बाद अजित पवार ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा- “यह उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।”
अजित पवार के ऊपर बतौर जल संसाधन मंत्री के रूप में आरोप लगे कि उन्होंने लवासा के विकास में मदद की। महाराष्ट्र कृष्णा घाटी विकास निगम ने अगस्त 2002 में लवासा को 141.15 हेक्टेयर पट्टे पर दिए। इसमें वारसगांव बांध के जलाशय वाले हिस्से शामिल थे। महाराष्ट्र कृष्णा घाटी विकास निगम और लवासा के बीच लीज बाजार दर से काफी कम में हुई थी। इस परियोजना शरद पवार की दृष्टि के रूप में प्रचारित भी किया गया था।
चुनाव आयोग को 2019 विधानसभा में दिए हलफनामे के अनुसार इनकी कुल संपत्ति 75.48 करोड़ से अधिक हैं। इनके ऊपर करीब 3.73 करोड़ की देनदारी है। इसके अलावा इनके पास 3 कार, 4 ट्रॉली और 2 ट्रेक्टर्स हैं। 50 करोड़ के जमीन और 13.90 लाख के जेवर हैं। इनकी पत्नी के पास 61.56 लाख के जेवर और होंडा एकॉर्ड, होंडा सीआरवी, इनोवा क्रिस्टिया, एक मोटर साइकिल, एक ट्रैक्टर और टोयोटा कांबरे गाड़ियां हैं।
प्रश्न- अजित पवार ने पहली बार चुनाव कब और कहां से लड़ा था ?
उत्तर- बारामती लोकसभा क्षेत्र से 1991 में लड़ा।
प्रश्न- अजित पवार कितनी बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं ?
उत्तर- 6 बार विधायक और करीब 10 बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं।
प्रश्न- अजित पवार के कितने बच्चे हैं ?
उत्तर- दो पुत्र (पार्थ और जय)
प्रश्न- अजित पवार की पत्नी का क्या नाम है ?
उत्तर- सुनेत्रा पवार
प्रश्न- अजित पवार के माता-पिता का क्या नाम है ?
उत्तर- माता का नाम ज्ञात नहीं, पिता का नाम अनंतराव पवार है।
प्रश्न- अजित पवार कितनी बार उप-मुख्यमंत्री रहे हैं।
उत्तर- पांच बार
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