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हनुमान बेनीवाल के गढ़ में धमाकेदार जीत के बावजूद रेवंतराम डांगा क्यों हैं नाखुश?

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Published  17 March 2025

खींवसर से बीजेपी विधायक रेवंतराम डांगा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की है. उनका यह पत्र राजनीतिक हलकों में चर्चाओं में है.उन्होंने लिखा है कि उनकी ही विधानसभा क्षेत्र में सरकार द्वारा उन्हें उचित सहयोग नहीं मिल रहा है। डांगा ने कहा कि नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की इच्छाओं के अनुसार ही घटनाएं घट रही हैं।

पत्र में डांगा ने उल्लेख किया कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और वे खुद खींवसर से बीजेपी विधायक हैं। इसके बावजूद, RLP सांसद हनुमान बेनीवाल दोनों दलों के साथ मिलकर राजनीति चला रहे हैं। यह स्थिति उनके अलावा खींवसर के बीजेपी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है। डांगा ने चेतावनी दी कि अगर इसी तरह के ट्रांसफर और पदस्थापन होते रहे, तो वह और पार्टी के अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत कैसे कर पाएंगे।

यह ध्यान रहे कि गत वर्ष नवंबर में हुए खींवसर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में डांगा ने सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को मात दी थी और बेनीवाल की हार ने क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी थी क्योंकि खींवसर विधानसभा क्षेत्र में सांसद हनुमान बेनीवाल का काफी समय से नियंत्रण रहा है।

इस उप चुनाव में डांगा को कुल 108628 वोट मिले थे जो कि कुल मतदाताओं का 50.06% था. वहीं कनिका बेनीवाल को 43.65% मत प्राप्त हुए थे.

क्या है नागौर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों का गणित ?

नागौर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें से डांगा को मिलकर भाजपा के पास मात्र 3 विधायक हैं. डांगा खींवसर से विधायक हैं तो वहीं मंजू बाघमार जायल से विधायक हैं तथा विजय सिंह नावां से विधायक हैं .

कांग्रेस के पास लाडनूं, नागौर, मकराना तथा परबतसर है वहीं भाजपा से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़े यूनूस खान डीडवाना से विधायक हैं.


कौन हैं रेवंतराम डांगा ?

Rawatram Danga with Hanuman Beniwal

रेवंतराम डांगा 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के प्रत्याशी थे और उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल से केवल 2059 मतों से हार का सामना किया था। इसी कारण पार्टी ने उन्हें फिर से अवसर दिया था , ताकि वे अगली बार सफलता प्राप्त कर सकें और उन्होने पार्टी के विश्वास को कायम रखा ।

उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 2008 में सरपंच के रूप में हुई, जब वे मुंदियाड़ ग्राम पंचायत के सरपंच बने। 2013 में उन्होंने फिर से सरपंच पद पर वापसी की। 2018 में, जब हनुमान बेनीवाल ने आरएलपी का गठन किया, तो रेवंतराम उनके साथ जुड़ गए।

2020 में, रेवंतराम की पत्नी गीता देवी पंचायत समिति सदस्य बनीं और प्रधान के पद पर भी काबिज हो गईं। 2023 में विधानसभा चुनाव से दो महीने पहले, रेवंतराम ने आरएलपी को छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया।