रामगढ़ उप चुनाव में मतदान से ऐन छह दिन पहले सुमन मजोका जो कि आज़ाद समाज पार्टी से उम्मीदवार हैं, ने एक नाटकीय घटनाक्रम में भरे मंच से भाजपा प्रत्याशी को समर्थन दे दिया . मजोका भाजपा ओबीसी मोर्चे के सम्मेलन में पहुंचीं जहाँ उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी भी मौजूद थीं, इसके बाद उन्होंने भाजपा प्रत्याशी सुखवंत सिंह को अपना समर्थन दे दिया .
उनके इस अप्रत्याशित फैसले ने आज़ाद समाज पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है . गत विधानसभा चुनाव में इसी आज़ाद समाज पार्टी ने तब भाजपा के बागी के तौर पर सामने आए सुखवंत सिंह को टिकट दी थी और वे दूसरे स्थान पर आए थे.
अब इस बार अचानक से ही उनके प्रत्याशी सुमन मजोका ने भाजपा कैंडिडेट को समर्थन देकर उनको पशोपेश में डाल दिया है. उनके प्रत्याशी रहे सुखवंत सिंह इस उपचुनाव में भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के तौर पर सामने हैं.
जैसा कि सब जानते ही हैं कि नाम वापस लेने की तिथि तो जा चुकी है और चूँकि अब मतदान के दिन में बहुत कम समय बाकी है इसलिए बैलट में उनका नाम भी छप चुका है तथा इवीएम में उनका नाम भी आएगा . साथ ही आज़ाद समाज पार्टी का सिम्ब्ल भी उनके नाम के सामने आएगा . इसलिए तकनीकी तौर पर कहिए या आधिकारिक रूप से मानिए, सुमन मजोका कैंडिडेट तो रहेंगी. अब वो अपने समर्थकों से अपील कर सकती हैं कि वे उन्हें वोट न देकर, भाजपा कैंडिडेट जिन्हें उन्होंने समर्थन दिया है उसे वोट करें. हालांकि उनकी अपील का कितना फायदा भाजपा को होगा यह अंदाज़ा लगाना कठिन है .
सुमन मजोका आज़ाद समाज पार्टी के कितने वोट भाजपा की तरफ ट्रांसफर करवा पाती हैं यह पेचीदा विषय है . आज़ाद समाज पार्टी का अपना वोट बैंक है और वो अब किसके साथ जाता है यह अभी पता नहीं पायेगा. पर अंदेशा यह भी है कि दलित समाज जो कि आज़ाद समाज पार्टी का वोट बैंक माना जा सकता है वो अब कांग्रेस कैंडिडेट आर्यन खान को वोट कर सकता है.
परन्तु इसे भाजपा के लिए एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बूस्ट तो माना ही जा सकता है. कांग्रेस के आर्यन खान के पक्ष में भावनात्मक माहौल है क्योंकि उनके पिता ज़ुबैर खान के निधन के कारण सहानुभूति उपजी है तो ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें एडवांटेज है लेकिन सुमन मजोका के भाजपा को समर्थन देने से कुछ हद तक भाजपा के मोराल में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है.
जैसा हमनें आरम्भ में लिखा कि सुखवंत सिंह जो कि पार्टी के उम्मीदवार थे, ने पिछली बार द्वितीय स्थान प्राप्त किया था, कहा जा सकता है कि आज़ाद समाज पार्टी का पिछला प्रदर्शन काबिले गौर था. आज़ाद समाज पार्टी ने भाजपा को तीसरे स्थान पर धकेला और 35.1 % वोट प्राप्त किए थे. तब भाजपा से जय आहूजा उम्मीदवार थे. आहूजा को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो शुरुआत में उन्होंने बागी तेवर दिखलाए लेकिन बाद में मान गए थे.
जहाँ कांग्रेस को 44.1 % वोट मिले थे वहीं भाजपा को 16.5 % वोट मिले थे. यदि आज़ाद समाज पार्टी के उम्मीदवार मैदान में न होते तो दोनों की मुख्य दलों के मत प्रतिशत बढ़ते . अब इस बार यह वोट किसे ट्रांसफर होंगे यह मतदान के समय ही मालूम पड़ेगा.