"पनियारम" तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसाद के रूप में दिया जाने वाला लड्डू है, जिसे विशेष रूप से प्रसाद के तौर पर महत्व दिया जाता है। इस लड्डू का एक विशेष ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, और इसे मंदिर के बाहर बेचा जाता है, जहाँ श्रद्धालु इसे प्रभु को चढ़ाने के बाद या दर्शन के पश्चात खरीद सकते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: पनियारम का इतिहास 300 साल से भी अधिक पुराना है, और इसे भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाने के बाद ही प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
महत्व: पनियारम न केवल भक्तों के लिए एक पवित्र प्रसाद है बल्कि इसे बनाने और वितरित करने की पूरी प्रक्रिया में एक गहरा धार्मिक अर्थ है। तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिया जाने वाला यह लड्डू हिंदुओं के बीच बहुत सम्मानित है। यह प्रसाद भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। इसे प्राप्त करना भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है, और मान्यता है कि इसे प्राप्त करने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
विशेषता: यह लड्डू मंदिर के भीतर एक विशेष रसोई में ही बनाया जाता है, जहां गुणवत्ता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। सामग्री और तैयारी की प्रक्रिया में कड़े नियम होते हैं ताकि शुद्धता बनी रहे। साथ ही इसकी बिक्री के लिए एक विशेष व्यवस्था है। श्रद्धालुओं को टोकन के माध्यम से इसे प्राप्त करने का अवसर दिया जाता है, जो इस प्रक्रिया को व्यवस्थित करने में मदद करता है।
प्रोक्तम लड्डू- ये लड्डू साइज में छोटा होता है। इसे दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को मुफ्त में दिया जाता है। एक लड्डू करीब 40 ग्राम का होता है।
अस्थानम लड्डू- इसे विशेष त्योहार या पर्व पर बनाया जाता है। यह प्रोक्तम लड्डू से थोड़ा बड़ा होता है। इसका वजन 175 ग्राम और कीमत 50 रुपए होती है। इसमें केसर, काजू और बादाम का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
कल्याणोत्सवम लड्डू- इस लड्डू की सबसे ज्यादा मांग है। जो भक्त अर्जिता सेवा और कल्याणोत्सवम में भाग लेते हैं, उन्हें ये दिया जाता है। इसका वजन 750 ग्राम और कीमत 200 रुपए होती है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के प्रसाद पनियारम यानी लड्डू में घटिया सामग्री और पशु वसा के इस्तेमाल के आरोप लगने पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) और अन्य लैब रिपोर्ट्स ने पुष्टि की है कि तिरुपति मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी, बीफ टैलो, सुअर की चर्बी, और मछली का तेल मिलाया गया था।
इस विषय पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार के दौरान, लड्डू के निर्माण में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली का तेल इस्तेमाल किया गया था।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट अध्यक्ष चयन विवाद: पुरवर्ती जगन सरकार ने मंदिर प्रबंधन हेतु तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट अध्यक्ष करुणाकर रेड्डी को बनाकर विवाद को जन्म दिया था करुणाकर रेड्डी एक इसाई धर्म को माननेवाले है तथा तिरुमाला तिरुपति मंदिर एक हिन्दू आस्था का प्रतीक है|
लड्डू के स्वाद में फर्क आना: तिरुपति के भक्तों द्वारा प्रसादम लड्डू का स्वाद बदलने की बात कह रहे थे। जब ये बात TTD के CEO जे. श्यामला राव के पास पहुंची तो उन्होंने लड्डू प्रसादम की क्वालिटी चेक के लिए एक स्पेशल कमेटी बनाई। इसमें नेशनल डेयरी रिसर्च सेंटर, विजयवाड़ा के पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. बी. सुरेंद्रनाथ, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रो. बी. महादेवन (IIM-बैंगलोर) और तेलंगाना वेटरनरी यूनवर्सिटी की डॉ. जी. स्वर्णलता शामिल थीं।
कमेटी की सिफ़ारिश पर जाँच: क्वालिटी चेक के लिए एक स्पेशल कमेटी ने मूल स्वाद वापस लाने के लिए लड्डू में मिलाने वाली सभी सामग्री की अलग अलग जाँच करवाई गयी जिसमे घी की गुणवता ख़राब निकली
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को हटाकर मार्केट से घी खरीदना: तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट अध्यक्ष करुणाकर रेड्डी और उनकी समिति ने वर्ष 2022 में नंदिनी ब्रांड दूध के निर्माता कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को हटाकर मार्केट(ए.आर. डेयरी फूड्स) से घी लेना प्रारम्भ कर दिया था जो की विवाद की प्रमुख जड़ है उस वक्त कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने तिरुपति देवस्थानम को पत्र लिखकर चेताया भी था की इससे कम दर पर मिलावटी घी ही मिलेगा
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विपक्षी पार्टियों और समूहों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है, जबकि कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की है।
हालांकि, सीधे तौर पर ऐतिहासिक विवादों का उल्लेख नहीं मिलता है जो कि तिरुपति मंदिर से जुड़े हों, परंतु इस तरह के मामले हिंदू धर्म स्थलों में अन्यत्र भी उठते रहे हैं जो प्रसाद, पूजा-पद्धति, और प्रबंधन से संबंधित होते हैं।
महाकाल के प्रसाद पैकेट पर फोटो विवाद: महंत सुखदेवानंद ब्रह्मचारी श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़ा इंदौर, पंडित शरद कुमार मिश्र ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर मंदिर के लड्डू प्रसाद पैकेट पर महाकाल मंदिर, ओंकारेश्वर और ऊँ छापने को गलत बताकर आपत्ति ली थी। मंदिर के लड्डू प्रसाद बॉक्स पर धार्मिक फोटो है। लोग इन खाली पैकेट को कचरे में फेंकते हैं। धर्म के हिसाब से यह सही नहीं है।
अंबाजी प्रसाद विवाद: बनासकांठा जिले में स्थित अंबाजी मंदिर में प्रसाद के तौर मोहनथाल दिया जा रहा है। कुछ समय पहले भाजपा सरकार में मोहनथाल की जगह चिक्की प्रसाद में दिए जाने का सिलसिला शुरू हुआ तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। अंबाजी में प्रसाद विवाद में बढ़ते विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने मोहनथाल और चिकी दोनों को शुरू करने का निर्णय किया है।
शिरडी साईं प्रसाद विवाद : भक्तों की शिकायत पर फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मंदिर रसोई पर छापा मारा तथा धी के सेम्पल लिए तह मंदिर द्वारा प्रसाद के लगभग 6000 kg लड्डू नष्ट करवाए गए
धार भोजशाला विवाद: यह जगह अपने निष्पादन के दौरान एक अनोखी व्यवस्था के लिए जानी जाती है जहां एक निश्चित दिन नमाज और एक निश्चित दिन पूजा होती है, यह व्यवस्था विवादित भूमि होने के कारण विवादों में रही है।
काशी विश्वनाथ दरबार में पूजन की थाली में पूजन सामग्री की कटौती विवाद: वाराणसी, काशी विश्वनाथ धाम में बाबा दरबार स्थित गर्भगृह में मंदिर प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली पूजा की थाली से पंचामृत और गुलाब की माला गायब होने के बाद विवाद पैदा हुआ इसमें गुलाब माला की जगह गेंदा के फूल की माला थमाई जा रही थी
ओडिशा सरकार द्वारा शिव मंदिरों में गांजे पर प्रतिबंध लगाने पर विवाद: ओडिशा के कुछ शिव मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाने वाला गांजा लंबे समय से इस क्षेत्र में धार्मिक महत्व से जुड़ा रहा है हालांकि, 11वीं सदी के लिंगराज मंदिर के सेवकों ने कहा कि मंदिर में देवता को गांजा नहीं चढ़ाया जाता है. भद्रक जिले के अराडी में अखंडलामणि मंदिर के मुख्य सेवक बिजय कुमार दास ने कहा कि भगवान शिव के ‘घरसाना’ अनुष्ठान के दौरान भोग में गांजा या भांग का उपयोग परंपरा के अनुसार किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों को चढ़ाया जाता है.
प्रबंधन और मंदिर महंत पद और गद्दी उतराधिकारी विवाद: भारत वर्ष में विभिन्न हिन्दू धार्मिक स्थलों पर प्रबंधन कमिटी, मंदिर महंत पद और गद्दी उतराधिकारी विवाद लम्बे समय से चल रहे है जिसमे प्रमुख है – जोशीमठ शंकराचार्य विवाद, गलता पीठ के महंत पद विवाद, पद्मनाभस्वामी मंदिर प्रबंधन विवाद, पुरी जगन्नाथ मंदिर सेवायत विवाद, शिरडी साईं जन्म स्थान विवाद, माता वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट विवाद आदि