राजस्थान में उपचुनाव की रणभेरी बज उठी है और उसी के साथ शुरू हो चुकी है राजनीतिक दलों का टिकट पाने की इच्छुक उम्मीदवारों की भागदौड़।
झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र उन सात विधानसभा सीटों में शामिल है जहाँ पर उप चुनाव होने हैं। यह सीट पर 2008 से ही ओला परिवार के बृजेन्द्र ओला जीत रहे हैं यह तो सब जानते हैं।
रोचक तथ्य यह है कि मोदी की सुनामी में जब भाजपा ने 2013 दिसंबर में विधानसभा में ऐतिहासिक बहुमत हासिल करते हुए चुनाव जीता था और कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर सिमट गयी थी और कई बड़े बड़े कांग्रेस नेता चुनाव हार गए तब भी भाजपा यह सीट नहीं जीत पाई थी। और कई बड़े बड़े कांग्रेस नेता चुनाव हार गए तब भी झुंझुनू से ओला जीते।
एक तथ्य यह भी है कि 2008 से लेकर 2023 तक के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ने कभी 30% वोट भी हासिल नहीं किए हैं। 2008 में पार्टी के उम्मीदवार मूल सिंह शेखावत ने 25.9 % वोट हासिल किए तो 2013 में यह बढ़कर 29.8 % हो गया लेकिन 2018 में वापस 21.3 % ही रह गया। 2023 में भाजपा ने 29.7 % मत हासिल किए । अब चूँकि ओला खुद सांसद बन चुके हैं तो ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनौती किसी ऐसे योग्य उम्मीदवार को चुनना है जो कांग्रेस के कब्जे में इस सीट को बरक़रार रख सके।
वहीं भाजपा के पास मौका ही मौका है। आंकड़ों का इतिहास उसके साथ नहीं है इसलिए उस पर झुंझुनू में जीत का प्रेशर नहीं है। भाजपा चाहे तो झुंझुनू में नए प्रयोग कर सकती है। नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। हार गई तो हार गई , लेकिन अगले सालों के लिए लीडरशिप की नई पौध डेवलप हो जाएगी। जीत गयी तो इतिहास में दर्ज हो जाएगा।