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ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट- 2024

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Published  14 October 2024

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट कैसे बनायी जाती है ?

इस रिपोर्ट को बनाने के लिए तीन डायमेंशन के 4 पैमानों की गणना की जाती है। इनमें तीन डायमेंशन- अंडर्नरिशमेंट, चाइल्ड मोर्टालिटी और चाइल्ड अंडरन्यूट्रिशन- (चाइल्ड वेस्टिंग व चाइल्ड स्टंटिंग) हैं।

अंडर्नरिशमेंट- किसी देश के एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में उसकी जरूरत के अनुसार कैलोरी का नहीं मिलना और देश की आबादी के कुल हिस्से में से पर्याप्त कैलोरी नहीं मिलने वालों की गणना करना।

चाइल मोर्टालिटी- देश के हर एक हजार जन्म पर ऐसे बच्चों की गणना करना, जिनकी मृत्यु 5 साल की उम्र के भीतर हो गई।

चाइल्ड अंजरन्यूट्रिशन के दो भाग-

चाइल्ड वेस्टिंग- बच्चों का अपनी उम्र के हिसाब से बहुत कमजोर होना और 5 वर्ष से कम उम्र वाले ऐसे बच्चे, जिनका वजन उनके कद के अनुसार कम होता है। इससे यह पता चलता है कि उन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाया, जिसके कारण वो कमजोर हो गए।

चाइल्ड स्टंटिंग-ऐसे बच्चे जिनका कद उनकी उम्र के अनुसार कम हो और उम्र के हिसाब से बच्चों की हाइट नहीं बढ़ी हो। हमारी हाइट का सीधा संबंध पोषण से है। हमारे समाज में जिन बच्चों का लंबे समय तक पोषण कम होता है, उन्हें स्टंटिंग की समस्या होती है।

GHI स्कोर कैटेगरी

अच्छा- 9.9 या उससे कम

सामान्य- 10 से 19.9 तक

गंभीर- 20 से 34.9 तक

चिंताजनक- 35 से 49.9 तक

बेहद चिंताजनक- 50 या उससे ज्यादा

भारत और उसके पांच पड़ोसी देशों का GHI स्कोर

भारत- 27.3 (गंभीर)

पाकिस्तान- 27.9 (गंभीर)

बांग्लादेश - 19.4 (सामान्य)

नेपाल- 14.7 (सामान्य)

श्रीलंका- 11.3 (सामान्य)

चीन- 5.0 (अच्छा)

GHI के चार पैमानों पर भारत का स्कोर-

भारत की कुपोषित आबादी- 13.7%

पांच से कम उम्र के बच्चों की हाइट में कमी- 35.5%

पांच से कम उम्र के बच्चों के वजन में कमी-18.7%

पांच वर्ष से पहले जान गंवाने वाले बच्चे- 2.9%

पिछले 10 वर्ष में भारत की GHI रैंक

2014- 55 नंबर

2015- 80 नंबर

2016- 97 नंबर

2017-100 नंबर

2018- 103 नंबर

2019- 102 नंबर

2020- 94 नंबर

2021- 101 नंबर

2022- 107 नंबर

2023- 111 नंबर

2024- 105 नंबर

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सूची में भारत अपने पड़ोसी देशों से नीचे क्यों है ?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सूची में भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और श्रीलंका से नीचे है, जबकि नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और श्रीलंका की आर्थिक हालत भारत से खराब है। ऐसे में सवाल उठता है- ग्लोबल हंगर इंडेक्स का भूख को मापने का जरिया क्या है ?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स अपने चार मापदंडों से भूख को मापता है। जिसमें कुपोषण, बच्चों में उम्र के हिसाब से कम हाइट, बच्चों का वजन हाइट के हिसाब से कम होना और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर शामिल है। भारत की जनसंख्या श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल से काफी ज्यादा है। इसलिए भारत के हर व्यक्ति को उनकी शारीरिक जरूरत के अनुसार कैलोरी नहीं मिल पाती है। इसके कारण भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सूची में अपने पड़ोसी देशों से भी नीचे रहता है।

भारत सरकार ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को गलत बताते हुए सवाल उठाएं हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहां है- ग्लोबल हंगर इंडेक्स के चार में से तीन पैमाने बच्चों से जुड़े हैं। ऐसे में ये डेटा पूरे देश के लोगों की बात नहीं करता है। इस रिपोर्ट में सबसे अहम इंडिकेटर आबादी में कुपोषितों का अनुपात है और यह ओपिनियन पोल पर आधारित है। इतने बड़े देश में यह पोल सिर्फ 30000 सैंपल के आधार पर किया गया है। इसे सही नहीं माना जा सकता है। इंडेक्स के दो बड़े इंडिकेटर स्टंटिंग यानी दुबलापन और वेस्टिंग यानी बौनापन हैं। यह एक कॉम्प्लेक्स प्रोसेस से निकाले जाते हैं। इसमें भुखमरी के अलावा साफ-सफाई, पर्यावरण, जेनेटिक्स और खाने का यूटिलाइजेशन भी शामिल है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का चौथा इंडिकेटर चाइल्ड मॉर्टेलिटी है जिसकी वजह भुखमरी है, इसके कोई सबूत नहीं मिलते हैं।

भारत सरकार एक तरफ कहती है कि सरकार देश की 80 करोड़ जनता को मुफ्त में राशन दे रही है, तो वही दूसरी तरफ ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट को नकार रही है। सामान्य तौर पर प्रति व्यक्ति आय और उच्च जीडीपी भूख के निम्र स्तर से जुड़ी होती है। मगर यह संबंध हमेशा प्रत्यक्ष नहीं होते हैं। बढ़ती जीडीपी किसी भी देश की पूरी आबादी को बेहतर खाद्य व पोषण सुरक्षा तब्दील नहीं करती है। सरकार की नीतियों से गरीबी-भुखमरी और आर्थिक व सामाजिक असमानता को दूर किया जा सकता है। खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा अनुमानित भारत की प्रति व्यक्ति आहार ऊर्जा आपूर्ति हाल के वर्षों में कुछ हद तक बढ़ी है। इससे भारत की आबादी के आहार में कैलोरी की वृद्धि हुई है।